“एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति”

कथक नृत्य के हस्ताक्षर पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी।(४ फरवरी १९३८ – १७ जनवरी २०२२) नृत्य विभाग, संगीत एवं मंच कला संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में मेरी नियुक्ति होने के बाद वहां की संकाय प्रमुख एवं कथक नृत्यांगना प्रो डॉ रंजना श्रीवास्तव जी के मुख से उनकी उत्कंठा सुनी ” कि नृत्य विभागContinue reading ““एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति””

मानो प्रकृति का गौना लिवाने स्वयं आते हैं भोलेनाथ

डा.विधि नागर, कथक नृत्यविदुषी षड्ऋतुओं में सभी का अपना-अपना अस्तित्व है। परंतु फाग की अल्हड़ मस्ती और सावन की झीनी फुहार का तो अपना ही मजा होता है। जब ग्रीष्म के ताप से झुलसे तन पर सावन की रिमझिम फुहारें पड़ती हैं तो तन के साथ-साथ मन भी भींग कर मयूर की तरह नाच उठताContinue reading “मानो प्रकृति का गौना लिवाने स्वयं आते हैं भोलेनाथ”